ग्राफिक डिजाइन के मूलभूत तत्त्व (Basic Elements of Graphic Design)
ग्राफिक डिजाइन किसी योजना के तहत की गई संरचना है जिसमें कुछ सिद्धान्तों के अनुसार तत्त्वों को व्यवस्थित रूप में प्रदर्शित किया जाता है। डिजाइन के विभिन्न तत्त्व- अक्षरों एवं छवियों के विभिन्न स्वरूप होते हैं।
इसमें ग्राफिक डिजाइनर विभिन्न आकार के टाइपफेसों और छवियों का विविधता प्रयोगः रंगों व पैट्रनों के साथ एक प्रभाव बनाने के लिए करना है।
ब्लैंचार्ड रसैल (Blanchard Russell) के अनुसार, “एक अच्छा डिजाइन रुचि और समय के रूझान पर निर्भर करता है, लेकिन कला के ये मूल तत्त्व हैं जो सभी सौंदर्यात्मक निर्णयों और कार्यों के मूल आधार हैं-
रेखा, आकृति, टाइपोग्राफी, रंग एवं खाका (Layout)। रेखा और आकृति इसके मूल तत्त्व हैं जिनसे विभिन्न प्रकार की छवियाँ (इलस्ट्रेशन, लोगो आदि) सृजित होती हैं, टाइपोग्राफी सिलाई करने वाले धागे की तरह है |
जो इन्हें कपड़े की तरह इकट्ठा रखती है। रंग सम्प्रेषण माध्यमों में एक मनोवैज्ञानिक प्रवर्तक है तो खाका तरीकों की एक विधि के अनुसार एक श्रृंखला है जिसके द्वारा डिजाइनर तत्त्वों की छंटनी एवं उन्हें एक साथ जोड़ता है।
मूलतः ग्राफिक डिजाइन के सभी तत्त्व, जैसे- शीर्षक, उपशीर्षक, बॉडी कॉपी, लोगोटाइप आदि सभी को टाइपोग्राफी द्वारा अक्षरों से सृजित (संयोजित) किया जाता है जो इलस्ट्रेशन एवं प्रतीक चिह्न आदि छवियों से सृजित होते हैं।
समाचार-पत्र एवं पत्रिका विज्ञापन, पोस्टर, श्योकार्ड, होर्डिंग, पुस्तक आवरण, पैकेजिंग आदि के लिये विचार को दृश्यरूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया (संरचना) ग्राफिक डिजाइन कहलाती है अर्थात् सम्प्रेषण के लिये किसी चयनित विचार का दृश्य प्रारूप सृजित करना ही ग्राफिक डिजाइन है, जो मुख्यतः विज्ञापन (सम्प्रेषण) से संबंधित होता है।
ग्राफिक डिजाइन बनाते समय कल्पना शक्ति, अन्तर्दृष्टि और व्यावसायिक दक्षता की आवश्यकता होती है जिसके द्वारा डिजाइनर अक्षरों (शब्दों) और छवियों का प्रयोग कर डिजाइन के मूलभूत तत्त्वों का सृजन कर उन्हें ग्राफिक डिजाइन के सिद्धान्तों के अनुसार संयोजित करता है।
ग्राफिक डिजाइन बनाते समय चित्र (Illustration), मुख्यशीर्षक (Headline), उपशीर्षक (Sub-headline), स्लोगन
(Slogan), टैग लाइन (Tag line), लिखित विषय-वस्तु (Copy), प्रतीक/ चिह्न (Symbol) आदि तत्त्वों की आवश्यकता होती है जिनमें से आवश्यकतानुसार इनका प्रयोग किया जाता है। ग्राफिक डिजाइन के मुख्य तत्त्वों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -
"मुख्य शीर्षक (Headline)
मुख्य शीर्षक डिजाइन का सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। यह डिजाइन या जो सम्प्रेषण हम स्थापित करना चाहते हैं उसका मुख्य संदेश होता है जो उपभोक्ता या संदेश पढ़ने वाले को सबसे पहले प्रभावित एवं आकर्षित करता है जिसके कारण उपभोक्ता पूर्ण विज्ञापन संदेश को पढ़ने के लिए प्रेरित होता है।
यह किसी भी विज्ञापन के लिखित संदेश में सबसे बड़े आकार (टाइप फेस) में लिखा जाता है और उसमें आकर्षक रंगों का प्रयोग किया जाता है जो पृष्ठभूमि के रंगों के विरोधाभासी रंग होते हैं। संदेश के अनुसार मुख्य शीर्षक विभिन्न तरह के होते हैं, जैसे- घोषणात्मक, समाचार मुख्य शीर्षक, लाभ के शीर्षक, जिज्ञासात्मक शीर्षक, प्रश्नात्मक, नियन्त्रक, चयनात्मक, भावात्मक, अप्रत्यक्ष, सौदेबाजी, हास्यकार एवं पहचान वाले मुख्य शीर्षक आदि।
इन्हीं से विज्ञापन एवं वस्तु की पहचान बनती है। यह कुछ शब्दों या एक-दो लाइनों का भी हो सकता है।
उपशीर्षक (Subheadline) यह डिजाइन के शीर्षक द्वारा दिये गये संदेश को आगे बढ़ाता है। इसे मुख्य शीर्षक का सहायक या पूरक भी कहा जाता है।
यह डिजाइन के शीर्षक से छोटे आकार में लिखा जाता है। सामान्यतः यह मुख्य-शीर्षक और बॉडी-कॉपी के संदेश के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। इसका आकार मुख्य शीर्षक के समान या उससे छोटा तथा बॉडी-कॉपी से बड़ा होता है जिसमें भी आकर्षक रंगों का प्रयोग किया जाता है।
बॉडी-कॉपी (Bodycopy)
उप-शीर्षक और इलस्ट्रेशन द्वारा दिये गये संदेश के सार की विस्तार से जानकारी उपभोक्ता को बॉडी-कॉपी द्वारा दी जाती है। इसके द्वारा उपभोक्ता को उत्पाद की विस्तृत जानकारी, जैसे- उसके प्रयोग करने के तरीके, प्रयोग
द्वारा होने वाले लाभ, उत्पाद के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री तथा वस्तु का विस्तृत विवरण उपभोक्ता के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
इसमें शीर्षक, उपशीर्षक और इलस्ट्रेशन द्वारा दिये गये संदेश को पूर्णता प्रदान करने के लिए तथ्य प्रस्तुत किये जाते हैं। किसी भी डिजाइन के संदेश में बॉडी कॉपी सबसे छोटे आकार (टाइप फेस) में लिखी जाती है जो सामान्यत: 8-10 लाइनों या इससे कम एवं अधिक भी हो सकती है।
इसमें वस्तु के बारे में प्रस्तुत किये गये विस्तृत तथ्य उपभोक्ता को वस्तु खरीदने के लिए प्रेरित
करते हैं।
इलस्ट्रेशन (Illustration)
ग्राफिक डिजाइन का एक मुख्य घटक इलस्ट्रेशन भी है। किसी भी प्रकार की छवि (Image)- लकड़ी के ब्लाक (Wood Cut) से लेकर फोटोग्राफी तक का प्रयोग डिजाइन में इलस्ट्रेशन के रूप में किया जा सकता है। मूलतः ।
अंग्रेजी शब्द इलस्ट्रेशन का हिन्दी रूपान्तरण दृष्टांत चित्र है। यह कला का एक विशिष्ट क्षेत्र है
जिसमें एक दृश्य विवरण के लिए सादृश्य मूलक या अभिव्यंजनावादी छवियों (सामान्यतः बिना फोटोग्राफी वाली छवियों) का सृजन व्यावसायिक प्रतिरूप बनाने (Reproduction) के लिए किया जाता है जिनमें विज्ञापन इलस्ट्रेशन, सम्पादकीय, फैशन, पुस्तक, रिकॉर्ड कवर, समाचार-पत्र व पत्रिका, चिकित्सा एवं तकनीकी इलस्ट्रेशन शामिल होते हैं।
डिजाइन में इलस्ट्रेशन विज्ञापन (चित्र) उपभोक्ता को आकर्षित करने का सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व माना जाता है।
इसलिए लगभग प्रत्येक विज्ञापन (डिजाइन) में चित्र आवश्यक रूप से दिखाई देते हैं। यह संचार का सबसे प्राचीन एवं प्रभावी माध्यम है जिसे प्रत्येक व्यक्ति आसानी से समझ सकता है। चित्र द्वारा विज्ञापन को आकर्षक बनाया जाता है।
विज्ञापन-संदेश (डिजाइन) को काफी हद तक चित्र देखने से ही समझा जा सकता है। चित्रों में यह गुण होता है कि प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह शिक्षित, अशिक्षित, किसी भी आय-वर्ग, आयु-वर्ग, स्त्री-पुरुष और किसी भी श्रेणी का हो, वे उसको आकर्षित कर लेते हैं। चित्र भाषा द्वारा दिये गये संदेश को पूर्णता प्रदान करते हैं।
विज्ञापन में जो बात भाषा द्वारा नहीं कही जा सकती उसे चित्रों की सहायता से कहा जाता है, क्योंकि चित्रों की भाषा सर्वव्यापक है जिसे किसी भी भाषा के सहारे के बिना भी समझा जा सकता है। सामान्यत: विज्ञापन के लिये बनाये जाने वाले डिजाइन में वस्तु का चित्र या वस्तु को प्रयोग करते हुए किसी व्यक्ति या मॉडल का चित्र दिखाया जाता है।
डिजाइन में मुख्य इलस्ट्रेशन (चित्र) की सहायता के लिए छोटे-छोटे इलस्ट्रेशनों (चित्रों) का प्रयोग किया जाता है। ये चित्र, मुख्य चित्र के संदेश को पूर्णता प्रदान करते हैं, इन्हें सहायक चित्र (Sub-Illustration) कहा जाता है। डिजाइन में प्रयुक्त चित्रों को प्रभावशाली बनाने के लिये इनमें आकर्षक रंगों, विभिन्न पोत आदि का प्रयोग किया जाता है जो डिजाइन के महत्त्व को बढ़ाते हैं तथा डिजाइन में लय का कार्य भी करते हैं।
व्यापारिक चिह्न (Trade Mark)
किसी भी कम्पनी की सामूहिक छवि व्यापारिक चिह्नों से बनती है जिसमें कम्पनी का प्रतीक चिह्न, मोनोग्राम एवं लोगोटाइप शमिल होते हैं। ये व्यापारिक चिह्न सुदृश्य एवं सुपाठ्य होते हैं तथा इनमें आकर्षक रंगों का प्रयोग किया जाता है ताकि इन्हें आसानी से पढ़ा, समझा और याद रखा जा सके।
सामान्यत: व्यापारिक चिह्न को लोगो (Logo) को नाम से भी इंगित किया जाता है जो निम्न प्रकार होते हैं -
(i) मोनोग्राम (Monogram) :
मोनोग्राम किसी भी नाम के एक अक्षर, दो या दो से अधिक अक्षरों का योगिक है जो उन अक्षरों की पहचान
बनाता है जिसके लिये इसका निर्माण होता है। जैसे- हेवलेट - पैकर्ड का HP, मैक्डोनाल्ड्स का M,वेल्वोलिन का V आदि। इसे देखकर कोई भी व्यक्ति (उपभोक्ता) उत्पाद बनाने वाली कम्पनी के बारे में जान लेता है।
(ii) प्रतीक चिह्न (Symbol) :
प्रतीक एक ऐसा संकेत होता है जो मूल से भिन्न होते हुए भी उसका बोध कराता है प्रतिनिधित्व करता है। किसी विचार, भाव अथवा अनुभव के दृश्य, श्रव्य चिह्न एवं संकेत को प्रतीक कहा जाता है जो केवल मन एवं प्रतिभा द्वारा ग्राह्य अर्थों को अभिव्यक्ति करता है।
प्रतीक अनेक अनुभूतियों एवं विचारों को समग्रता से व्यक्त कर पाने में सक्षम होता है। अतः जहाँ विशिष्टार्थों
की व्यंजना करनी होती है वहाँ प्रतीक सहायक होता है। किसी कम्पनी या व्यक्तिगत नाम का प्रतीक चिह्न होता है।
प्रत्येक चिह्न, स्ट्रोक, आकार, धरातल, आकृति या रंग आदि जिसे हम डिजाइन द्वारा सृजित करते हैं एक सिम्बल है। यह वास्तव में जो है उससे कुछ भिन्न और अधिक होता है और इसका कोई अर्थ होता है। यह प्रतीक/चिह्न जिसके लिये बनाया गया है उस कम्पनी या व्यक्ति की विशेषताओं और गुणों पर आधारित होता है और कम्पनी या व्यक्ति की पहचान का प्रतीक होता है। सामान्यत: उसे देखकर ही उस कम्पनी या व्यक्ति की विशेषताओं को समझा जा सकता है।
(iii) लोगोटाइप (Logotype) :
लोगोटाइप किसी कम्पनी, व्यक्ति या समूह के नाम का प्रयोग है जो एक विशेष प्रकार से लिखा होता है जो उस नाम की पहचान होता है। यह कम्पनी की ब्राण्ड छवि बनाता है। कम्पनी का ब्राण्ड नाम (लोगोटाइप) हमेशा एक तरह से लिखा जाता है। जैसे- Google, Coca cola, Fe dex, Facebook, Sony और BATA आदि।
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