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डिजाइन ( Design ) - (ग्राफ़िक डिज़ाइन Theory बिलकुल शुरू से Lesson - 1)

 


डिजाइन ( Design )

डिजाइन एक कला स्वरूप है यह संभवत है सभी कला स्वरूपों का एक सर्वाधिक  रोचक और उत्तेजक स्वरूप है क्योंकि इसका विकास बहुत सी व्यक्तियों में अत्यधिक सौंदर्य एवं अनुभव से परिपूर्ण होने से हुआ है सैद्धांतिक रूप से डिजाइन का अर्थ है व्यवस्था ! वास्तव में डिजाइन अर्थपूर्ण तैयार करने का एक सचेत प्रयास  होता है विद्वान प्रकृति में पाई जाने वाली वस्तुएं या घटनाओं को डिजाइन की संज्ञा नहीं देते हैं ! प्रकृति की वस्तु की उनकी भव्यता, सुंदरता एवं जटिलता में निहित सहजता के लिए सराहना की जाती है, लेकिन वे डिजाइन इसलिए नहीं है  क्योंकि एक निश्चित सरंचना, व्यवस्था और सुंदरता होने के बावजूद भी उन्हें किसी के द्वारा जानबूझ कर किसी उद्देश्य के लिए तैयार नहीं किया  जाता है ! वास्तव में डिजाइन कभी वास्तविक नहीं होता, यह निश्चित योजना के अंतर्गत किया गया सचेत प्रयास है !

सन 1964 में बेल्जियम में डिजाइन पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें डिजाइन की निम्नलिखित परिभाषा निर्धारित की गई ! "डिजाइन एक सृजनात्मक कार्य है जिसका लक्ष्य निर्मित वस्तुओं की भाह्य विशेषताओं और सबसे महत्वपूर्ण निर्माता एवं उपभोक्ता के दृष्टिकोण से उस वस्तु के संरचनात्मक और कार्यात्मक संबंधों, जो उसे एक संपूर्ण वस्तु में परिवर्तित करते हैं, दोनों को सम्मिलित करते हुए इसके तात्विक  गुण धर्मों (Properties) का निर्धारण करना है !"

डिजाइन को विद्वानों ने निम्न प्रकार प्रभावित किया है - 

1. राइट, विंटर एवं जिग्लर (Wright, Winter, Zeigler) के अनुसार, "डिजाइन वह प्रक्रिया है जिसमें हम अपनी जरूरतों और उद्देश्य के अनुसार प्राकृतिक सामग्री को पुन: आकार प्रदान कर उसे उपयुक्त बनाकर आस - पास व्यवस्थित करते हैं, जो व्यक्ति के उम्मीदों, इच्छाओं और इरादों को व्यक्त करता है !"

2. दुन प्रब्ले, विंटर प्रब्ले एवं जिग्लर (Dune Perble, Winter Perble, Zeigler) ने कहा है कि. "डिजाइन हमारी सांस्कृतिक मूल्यों  को अभिव्यक्त करता है तथा उन्हें आकार भी देता है ! को अभिव्यक्त करता है तथा उन्हें आकार भी देता है !" 

3. फिलिप रावसन (Philip Rowson) के अनुसार "सभी प्रकार के डिजाइनओं में चार तथ्य प्रभावित होते हैं - (i) सामग्री (ii) प्रक्रिया (iii) आकार (iv) उद्देश्य !

सामग्री (Material) - वास्तविक वस्तु है जिसका चुनाव करके, प्रक्रिया (Process) द्वारा उसमे ( सामग्री )  बदलाव करने और जोड़ने से नया स्वरूप (Form)बनाया जाता है ! स्वरूप से हमारा उद्देश्य )Purpose) पूरा होता है ! 

(i) सामग्री -  यह प्राकृतिक वस्तुए एवं पदार्थ ( लकड़ी, मिट्टी, पत्थर, कागज, एवं प्लास्टिक आदि ) है, जिन्हें उनके गुण धर्मों ( कठोरता, सभ्यता, मजबूती, तनत (Tensile) या संपीडन (Compression), रंग और तन्यता (Ductility) आदि ) के अनुसार उसे डिजाइन प्रक्रिया में परिष्कृत किया जाता है तथा यह देखा जाता है कि सामग्री को क्या स्वरूप दिया जाए और वह स्वरूप कौन से कार्य के लिए उचित रहेगा अर्थात सामग्री के प्रयोग का नया तरीका खोजा जा सकता है ! 

(ii) प्रक्रिया - यह एक भौतिक क्रिया है जिसके द्वारा सामग्री को डिजाइन के स्वरूप ( आकारों ) में क्रियाविनीत किया जाता है !  यह प्रक्रिया हाथों या मशीनों द्वारा संपादित की जाती है ! 


(iii) आकार - सामग्री को स्वरूप देने के लिए डिजाइन की दिमागी छवि के बारे में मनन किया जाता है  कि उपलब्ध साधनों से क्या स्वरूप बनाया जाए कि वह हमारे उद्देश्य उद्देश्य को पूर्ण करता हो !


(iv) उद्देश्य - किसी वस्तु के स्वरूप की उपयोगिता उसके उद्देश्य की पूर्ति से होती है उद्देश्य प्रायोगिक और मनोवैज्ञानिक दोनों हो सकते हैं जिसमें अन्य की अपेक्षाकृत उसका स्वरूप, मूल्य, मजबूती एवं सौंदर्य बोध आदि, शामिल होते हैं, जैसे - डिजाइन प्रक्रिया दवारा लकड़ी से कुर्सी को बनाया जाता है तो कुर्सी का स्वरूप आवश्यकता के अनुरूप हो, मूल्य भी अपेक्षाकृत रूप से उचित हो, कुर्सी मजबूत एवं टिकाऊ भी हो, देखने में सुंदर लगे और बैठने में आरामदायक होगी तो ही उसका उद्देश्य पूर्ण होगा ! 

4. अमेरिकन अंग्रेजी के कैंब्रिज शब्दकोश में, "एक संज्ञा रूप में 'डिजाइन' शब्द अनौपचारिक रूप से एक वस्तु की संरचना ( भवन का ब्लूप्रिंट, कपड़े के पैटर्न, विज्ञापन खाका आदि )  के लिए एक योजना है !"

5. वाल्टर ग्रोपीस (Walter Gropius) - के अनुसार "डिज़ाइन दृश्य भाषा का सृजन करता है - आकारों की वह भाषा जो विचारो को अभिव्यक्ति प्रदान करती है !"

6. वोल्फ वेन एकर्ट (Wolf Ven eckardt) ने कहा है कि "सफल डिजाइन स्पष्ट दिखाई देते हैं  ( श्रेष्ठ होते हैं ), क्योंकि वे मानव के उत्साह को बढ़ाते हैं और जीवन को थोड़ा आसान बनाते हैं !"

7. नेलसन पॉल रॉय के अनुसार एक संज्ञा के रूप में डिजाइन भागो ( हिस्सों ) की एक व्यवस्था और व्यवस्था के पीछे योजना दोनों हैं जो कि इच्छित सरंचना बनाती है ! एक क्रिया  के रूप में डिजाइन मानवीय गतिविधि है !इसका प्रयोग तत्वों को संयोजित करने के साथ संबंधित है जिससे कोई उद्देश्य प्राप्त किया जाता है !"

उपरोक्त तथ्यों के आधार पर डिजाइन एक द्देश्यआत्मक मानवीय गतिविधि है ! यह किसी निश्चित योजना के कुछ निश्चित उद्देश्य के लिए एक व्यवस्थित कार्य है, जिसमें डिजाइन के सभी तत्वों को एक साथ व्यवस्थित रूप से प्रदर्शित कर एक रूपरेखा तैयार की  जाती है जैसे -  दिवआयामी डिजाइन में ज्यामिति आकारों से डिजाइन बनाते समय कागज के एक निर्धारित आकार ( आवश्यकतानुसार ) में ज्यामितीय  डिजाइन के तत्व ( त्रिभुज, वर्ग, आयत, गोला आदि आकारों ) को अनुपात,रेखाओं एवं रंगों द्वारा इस प्रकार सयोजित किया जाए कि प्रत्येक तत्व को उसके महत्व के अनुसार स्थान मिले और देखने में सौंदर्य बोध भी हो ! डिजाइन विद्या में अलग-अलग कार्यों के लिए भिन्न-भिन्न डिजाइन का प्रयोग किया जाता है, जैसे - संदेश संप्रेषित करने के लिए ग्राफिक डिजाइन, कपड़ों के ऊपर छपाई के लिए  टैक्सटाइल डिजाइन, औद्योगिक उपकरणों के लिए औद्योगिक डिजाइन, फर्नीचर डिजाइन, सजावटी डिजाइन, वास्तु डिजाइन, पर्यावरण डिजाइन आदि सभी शामिल होते हैं ! 

                                                                 दिवआयामी डिजाइन




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