सौंदर्य शास्त्र ( Aesthetics)
सौंदर्य शास्त्र भारतीय दर्शन में सौंदर्य - शास्त्र का अहम स्थान है ! हिंदी साहित्य मैं सरल - सुबोध इस शब्द का प्रयोग 'एस्थेटिक्स' (Aesthetics) के पर्यायवाची शब्द के रूप में किया जाता है ! एस्थेटिक्स मूलतः यूनानी ( ग्रीक ) भाषा का शब्द है, यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द एस्थेसिस (Aesthesis) से बना है जिसका अर्थ है इंद्रिये संवेदना का शास्त्र, अर्थात यह शब्द इंद्रिय बोध, प्रत्यक्ष ज्ञान या अनुभव का घोतक है !
कुछ विचारक सौंदर्यशास्त्र को ललित कलाओं के रूप में अभिव्यक्त होने वाले सौंदर्य तक सीमित मानते हैं तथा कुछ विचारक कला एवं प्रकृति दोनों में सौंदर्यनुभूति को मान्यता देते हैं ! वास्तव में प्रकृति का सौंदर्य हीललित कला में दिखाई देता है ! जर्मन विद्वान अलेक्जण्डर बामनगार्टेन (Alexander Bamngarten) ने सर्वप्रथम 1750 ईस्वी में दर्शन - शास्त्र की शाखा के क्रम में सौंदर्य एव कला का क्रमबद्ध विवेचन करने के लिए इसको सौंदर्यशास्त्र एस्थेटिक्स के नाम से संबोधित किया ! इस प्रकार सौंदर्य - शास्त्र दर्शन - शास्त्र का अंग बना जिसका मुख्य विषय कला और प्रकृति के सौंदर्य की विवेचना करना है !
तेल रंग चित्र, ' राधा व माधव ' ( राजा रवि वर्मा )
जर्मन विद्वान हीगेल ने अपने ग्रंथ 'द फिलासफी ऑफ फाइन आर्ट' ने कहा है कि, "सौंदर्य - शास्त्र का संबंध सौंदर्य के संपूर्ण क्षेत्र से माना जा सकता है, यदि वास्तविक अर्थ में सौंदर्य शास्त्र का संबंध ललित कलाओं के माध्यम से अभिव्यक्त सौंदर्य से है न की अन्य माध्यमों से अभिव्यक्त सौंदर्य से | हीगेल ने सौंदर्यशास्त्र को ललित कला का दर्शन कहां है ! विद्वानों ने सौंदर्य शास्त्र को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है -
1. के. एस. रामास्वामी शास्त्री के अनुसार, "सौंदर्य - शास्त्र कला में अभिव्यक्त सौंदर्य का विज्ञान है !"
2. के.सी. पाण्डेय ने, "सौंदर्य - शास्त्र को ललित कलाओं का विज्ञान एवं दर्शन कहा है !"
आधुनिक दार्शनिक इसे विज्ञान मानते हैं और उनके अनुसार सौंदर्य - शास्त्र इंद्रिय संवेदना का विज्ञान है जिसका लक्ष्य सौंदर्य है !
उपयुक्त विद्वानों के विचारों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सौंदर्य - शास्त्र के विवेचय विषय में प्रकृति और कला के सौंदर्यात्मक गुणों के साथ सौंदर्यनुभूति के संदर्भ में मानवीय संवेदना को भी स्वीकारा गया है और इसके अंतर्गत ललित कलाओं के रूप में अभिव्यक्त सौंदर्य से संबंध मौलिक प्रश्नों के तात्विक विवेचन भी इसी संदर्भ में सम्मिलित है !
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