ग्राफिक डिजाइन का अर्थ ( Meaning of Graphic Design )
ग्राफिक डिजाइनर कागज के ऊपर रेखाओं द्वारा केवल साधारण रूप से कार्य नहीं करता अपितु प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक सरचना के साथ कार्य करता है जिसमें डिजाइन के सिद्धांत के अनुसार परानुभूति और अंतर्दृष्टि किस आधार पर ग्राफिक सृजन की अंतरधारा को संयोजित करता है !
ग्राफिक डिजाइन में प्रयुक्त ग्राफिक (Graphic) शब्द ग्रीक भाषा के शब्द ग्राफीन/ ग्राफीकोस (Grapphein/Graphikos) से बना है जिसका अर्थ 'लिखाई' और 'चित्रण' दोनों है ! ग्राफिक शब्द की दूसरी परिभाषा है जो किसी भी मुद्रण माध्यम द्वारा प्रतिलिपि बनाने योग्य हो ! अर्थात ऐसा डिजाइन जिसमें चित्रों, चिन्हों आदि के साथ लिखित संदेश भी हो तथा मशीन द्वारा मुद्रित कर उस डिजाइन के वास्तविक स्वरूप जैसे अनेक प्रतिरूप (Reproduction) बनाए जा सके, वह ग्राफिक डिजाइन कहलाता है ! प्रतिरूप बनाने के पश्चात इसे इसके वास्तविक नाम ( जिस उद्देश्य के लिए डिजाइन बना है जैसे - विज्ञापन, पोस्टर, पैकेजिंग, पुस्तक अवतरण आदि से जाना जाता है ! लिखित संदेश की बनावट एवं मुद्रण मात्र ही ग्राफिक डिजाइन नहीं है बल्कि यह लिखित संदेश के प्रभाव, ( संप्रेषण एवं सौंदर्यआत्मक गुणवत्ता ) को अधिकतम करने की अर्थपूर्ण एवं योजनाबद्ध कोशिश होती है जो लिखित संदेश को संभावित पाठकों को आकर्षित करने की क्षमता प्रदान करती है ! ग्राफिक डिजाइन में सामान्यतः शब्दों एवं छवियों का एक साथ प्रयोग किया जाता है जिसमें लिखित संदेश या छवि दोनों की प्रधानता हो सकती है या प्रत्येक अपना अपना अर्थ होता है वास्तविक रूप में प्रभावी ग्राफिक संप्रेषण विषय - वस्तु (Theme) और संदेश के प्रस्तुतीकरण दोनों का संयुक्त परिणाम होता है ! का ग्राफिक डिजाइन मुख्यतः तीन प्रकार से कार्य करता है :
(i) पहचान कराना (Identification) - वह वस्तु ( उत्पाद ) क्या है ? यह किसने बनाया है ? आदि ! यह प्रतीक, चिन्ह लोगोटाइप एवं पैकेजिंग आदि द्वारा हो सकता है !
(ii) सूचना एवं हिदायत देना (Information and Instruction) - उस श्रेणी के अन्य उत्पादों से उस उत्पाद के बारे में तुलनात्मक सूचना वह उसके उपयोग संबंधी हिदायतें आदि जो डायग्राम नक्शे या निर्देशात्मक चिन्हों द्वारा किया जा सकता है !
(iii) विज्ञापन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य उत्पाद का प्रस्तुतीकरण एवं विक्रय अभिवृद्धि (Presentation and promotion) - उत्पाद का प्रस्तुतीकरण विज्ञापन द्वारा इस प्रकार से हो की वह देखने वालों को प्रभावित करें ( आकर्षित करना और याद रखने योग्य बनाना ) जिससे उस उत्पाद की बिक्री में अभिवृद्धि हो ! विद्वानों ने 'ग्राफिक डिजाइन' को निम्न प्रकार परिभाषित किया है -
1. विल बुर्टीन (Will Burtin) के अनुसार - "ग्राफिक डिजाइन का कार्य संप्रेषण में सहयोग के लिए एक प्रकार से विचारों या समस्याओं को संक्षिप्त और साररूप रूट में करना है ताकि उन्हें आसानी से समझा जा सके !"
2. नेलसन पॉल रॉय (Nelson Paul Roy) के अनुसार - "डिजाइन मुद्रित विज्ञापन के सौंदर्यआत्मक और शैलीगत पक्ष के लिए की गई एक संरचना है जिसके एक योजना होती है !"
3. आर्थर टुर्नबुल (Arthun Turnbull) के अनुसार - "ग्राफिक संप्रेषण दृश्य (Visual) छवियों के रूप में संदेश पहुंचाने की प्रक्रिया है जो सामान्यतः समतल धरातल पर होती है !"
4. ई. अर्टशन (E. Arntson) ने कहा है कि "ग्राफिक डिजाइन दिव - आयामी धरातल पर समस्या का समाधान करना है !"
ग्राफिक डिजाइन का निर्माण दिव - आयामी समतल धरातल पर किसी समस्या के समाधान के लिए सोच समझकर योजना के अनुसार किया जाता है ! इसके द्वारा विशिष्ट संदेश को विशिष्ट पाठको (Audience) तक संप्रेषित किया जाता है ! इसके निर्माण के लिए कल्पना शक्ति और व्यवसायिक दक्षता की आवश्यकता होती है, क्योंकि डिजाइन के निर्माण की वित्तीय, भौतिक एवं मनोवैज्ञानिक सीमाएं ( बाध्यताएं ) होती है !
(i) वित्तीय सीमा - यह डिजाइन की लागत संबंधी होती है, जैसे - जो डिजाइन तैयार किया जा रहा है, क्या निर्धारित बजट में उसकी आवश्यकतानुसार प्रतिरूप बनाए जा सकते हैं !
(ii) भौतिक सीमा - यह कि, क्या उस डिजाइन के प्रतिरूप के बन भी सकते हैं या नहीं ? और संभावित पाठक तक उसे भेजा जा सकता है या नहीं !
(iii) मनोवैज्ञानिक सीमा - डिजाइन के प्रभाव संबंधी होती है जैसे की पोस्टर के लिए डिजाइन बनाया जा रहा है तो वह इस प्रकार बने दूर से ही दिखाई दे और जिसके लिए वह अभिप्रेरित है उससे उसे लाभ हो ! अर्थात उसमें संभावित पाठक को आकर्षित करने की क्षमता होनी चाहिए, जो मुख्य शीर्षक, चित्र, टाइपफेस, व्यापारिक चिन्ह के उचित आकार एवं रंगो आदि से कागज पर निर्धारित स्थान में व्यवस्थित नियोजन की प्रक्रिया को खाका (Layout) द्वारा पूर्ण करते हैं उपयुक्त बाध्यताओ के साथ डिजाइनर कल्पना करता है, योजना बनाता है, और डिजाइन का सृजन करता है ! एक सफल ग्राफिक डिजाइनर वह होता है जो प्रौद्योगिकी में बदलाव के अनुरूप प्रतिक्रिया दिखाता है और हवा का रुख पहचानता है !
5. रसैल डब्ल्यू बालेन्चर्ड (Russell W. Blanchard) के अनुसार - "ग्राफिक डिजाइन में निम्नलिखित विधाएं शामिल होती हैं -
(i) सामूहिक पहचान के लिए डिजाइन एवं सामूहिक संप्रेषण डिजाइन सामूहिक प्रयोग के लिए ग्राफिक सामग्री एवं छवियों के डिजाइन:
(ii) विज्ञापन और सहवर्ती डिजाइन के लिए मुद्रित डिजाइन, मुद्रित विज्ञापन एवं सभी प्रकार के सहयोगी विज्ञापन ( पोस्टर, बिलबोर्ड, मेलर, ब्रोशर बिक्री अभिवृत्ति वाले आइटम आदि ) !
(iii) सामान्य प्रकाशनो के डिजाइन: वृहत पाठ्य पुस्तकें, पत्रिकाएं, समाचार - पत्र एवं अन्य प्रकाशन !
(iv) सभी प्रकार के ग्राफिक संकेतक (Graphic Signage) डिजाइन व्यावसायिक पहचान कराने वाले, पर्यावरणीय सूचना एवं निर्देशात्मक ग्राफिक !
(v) पैकेज डिजाइन: सभी प्रकार की पैकेजिंग सामग्रियों का दृश्य विकास !"
उपयुक्त परिभाषाएं एवं अन्य संदर्भो के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मूलतः ग्राफिक डिजाइन में डिजाइन एवं पैटर्न बनाए जाते हैं, जैसे पुस्तक डिजाइन, विज्ञापन, समाचार - पत्र व पत्रिकाएं, डाक टिकटें, उत्पादों के पैकेट, पोस्टर,ग्रीटिंग कार्ड, प्रतीक ( चिन्ह ) व्यापारिक चिन्ह ( लोगो ) आदि ! प्राय: ग्राफिक डिजाइनों में चित्र तथा लिखित संदेश शामिल होता है जिसे टाइपो द्वारा संयोजित किया जाता है और उनके वहत रूप से मुद्रण की विभिन्न तकनीकों में से किसी एक द्वारा प्रतिरूप तैयार ( पुनरुत्पादित ) किए जाते हैं ! अर्थात साररूप में ग्राफिक डिजाइन लिखित संदेश, चिन्ह, चित्र एवं मुद्रण को सम्मिलित करने वाली एक कलात्मक गतिविधि है जिसका उद्देश्य सूचना या संदेश देना होता है !
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